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Festival of lights: राम मंदिर अभिषेक के बाद सरयू के तट पर 25 लाख दीयों के साथ गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड स्थापित

Festival of lights

‘Deepotsav 2024’ on the eve of the Diwali festival, in Ayodhya, Wednesday, Oct. 30, 2024. (PTI Photo)

अयोध्या में इस वर्ष का Festival of lights धार्मिक आस्था और भव्यता का संगम बन गया, जब 30 अक्टूबर को राम मंदिर के अभिषेक के बाद पहली बार यह आयोजन हुआ। लाखों दीयों की जगमगाहट और भक्तों के उत्साह के बीच सरयू नदी का तट एक अद्भुत नजारा प्रस्तुत कर रहा था। दीपोत्सव का यह आठवां संस्करण, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में आयोजित किया गया, जिसमें कैबिनेट मंत्रियों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने समारोह का शुभारंभ किया।

Festival of lights में गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड की दोहरी उपलब्धि

इस वर्ष के Festival of lights ने दो गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाए। गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के निर्णायक प्रवीण पटेल ने कार्यक्रम के दौरान इन रिकॉर्ड्स की घोषणा की, जिनमें से पहला “तेल के दीयों का सबसे बड़ा प्रदर्शन” और दूसरा “सबसे अधिक लोगों द्वारा एक साथ आरती करना” था। 1,121 वेदाचार्यों की उपस्थिति में, अयोध्या ने सबसे अधिक लोगों द्वारा सामूहिक आरती करने का नया रिकॉर्ड कायम किया, जिसमें सभी प्रतिभागियों की धार्मिक भावना और समर्पण का प्रदर्शन हुआ। पटेल ने घोषणा करते हुए कहा, “अयोध्या अब गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में सबसे अधिक लोगों द्वारा एक साथ दीये जलाने और आरती करने के लिए मान्यता प्राप्त कर चुकी है।”

Festival of lights में 25 लाख दीयों का प्रज्वलन

पिछले रिकॉर्ड को तोड़ते हुए इस वर्ष दीपोत्सव में कुल 25,12,585 मिट्टी के दीये जलाए गए, जिससे यह तेल के दीयों का सबसे बड़ा प्रदर्शन बन गया। सरयू नदी के किनारे पर एक साथ जलते इन दीयों ने आस्था की एक अनोखी छवि प्रस्तुत की। यह रिकॉर्ड दीयों की संख्या के साथ-साथ आयोजन की भव्यता और धार्मिक महत्व को दर्शाता है, जिसने न केवल स्थानीय निवासियों बल्कि देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं को भी आकर्षित किया।

राम मंदिर अभिषेक के बाद पहला Festival of lights

अयोध्या का Festival of lights 2017 से प्रतिवर्ष आयोजित किया जा रहा है, लेकिन इस वर्ष का आयोजन विशेष रूप से ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण रहा। जनवरी में राम मंदिर के अभिषेक के बाद यह पहला दीपोत्सव था, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने भगवान राम की जन्मभूमि पर दीयों की रौशनी से श्रद्धा अर्पित की। मंदिर प्रांगण और सरयू का किनारा दीयों की चमक से जगमगा उठा, जो भक्तों के उल्लास और धार्मिक भावना का प्रतीक था।

अयोध्या Festival of lights का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

अयोध्या का दीपोत्सव, विशेषकर इस वर्ष, भगवान राम के प्रति श्रद्धा और भारतीय संस्कृति का जीवंत उदाहरण बना। यह आयोजन राम मंदिर और अयोध्या की धार्मिक महत्ता को उजागर करता है, जहां दीयों की रोशनी ने एक बार फिर से इस प्राचीन नगरी की ऐतिहासिक गरिमा को जीवंत किया।


This year’s Festival of lights in Ayodhya turned out to be a confluence of religious faith and grandeur when it was held for the first time after the consecration of the Ram temple on October 30. The banks of the river Saryu were a wonderful sight amid the glow of millions of diyas and the enthusiasm of devotees. This eighth edition of Deepotsav was organised under the leadership of Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath, who inaugurated the celebrations in presence of cabinet ministers and other dignitaries.

Double Guinness World Record achievement at Festival of lights

This year’s Festival of lights created two Guinness World Records. Praveen Patel, adjudicator of Guinness World Records, announced these records during the event, the first of which was “Largest display of oil diyas” and the second was “Most people performing aarti simultaneously”. In the presence of 1,121 Vedacharyas, Ayodhya set a new record for the most number of people performing mass aarti, showcasing the religious spirit and dedication of all the participants. Patel announced, “Ayodhya has now been recognised in the Guinness World Records for the most number of people lighting diyas and performing aarti simultaneously.”

25 lakh diyas lit at Festival of lights

Breaking the previous record, a total of 25,12,585 earthen diyas were lit at Deepotsav this year, making it the largest display of oil lamps. These diyas lit simultaneously on the banks of the Saryu river presented a unique image of faith. This record reflects the number of diyas as well as the grandeur and religious significance of the event, which attracted not only local residents but also devotees from across the country and abroad.

First Festival of lights after Ram Mandir consecration

Ayodhya’s Festival of lights has been held annually since 2017, but this year’s event was particularly historic and important. This was the first Deepotsav after the consecration of the Ram temple in January, in which thousands of devotees paid homage to Lord Ram by lighting diyas at his birthplace. The temple premises and the banks of the Saryu river were lit up with the glow of diyas, symbolizing the joy and religious spirit of the devotees.

Religious and cultural significance of Ayodhya Festival of lights

The Deepotsav of Ayodhya, especially this year, became a living example of devotion towards Lord Rama and Indian culture. This event highlights the religious significance of the Ram temple and Ayodhya, where the light of diyas once again brought alive the historical glory of this ancient city.

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