Site icon INDIAN NEWS

बांग्लादेश में krishnadas prabhu ने हिंदू समुदाय के लिए कौन-कौन सी मांगें उठाई हैं? उनकी गिरफ्तारी का कारण क्या है?

Krishnadas Prabhu 

Chinmay Krishnadas Prabhu  बांग्लादेश में सक्रिय सनातन जागरण जोत के प्रवक्ता हैं। यह संगठन बांग्लादेश में हिंदू समुदाय की सुरक्षा और अधिकारों की रक्षा के लिए आवाज उठा रहा है।

भारत ने बांग्लादेश में हिंदू नेता Chinmay Krishnadas Prabhu की गिरफ्तारी और उन्हें जमानत न दिए जाने पर मंगलवार को गहरी चिंता जताई। भारत ने बांग्लादेशी अधिकारियों से आग्रह किया है कि वे न केवल हिंदुओं बल्कि सभी अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करें।

बांग्लादेश पुलिस ने सोमवार को Chinmay Krishnadas Prabhu को ढाका के हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास से गिरफ्तार किया। वे सम्मिलित सनातन जागरण जोत के नेता हैं, जो अल्पसंख्यक अधिकारों और उनकी सुरक्षा को लेकर 8 सूत्री मांग उठा रहा है। अदालत ने मंगलवार को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी और उन्हें जेल भेज दिया।

बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय की चुनौतियाँ

बांग्लादेश में इस्लाम प्रमुख धर्म है, लेकिन हिंदू, बौद्ध, ईसाई और अन्य धार्मिक समूहों जैसे अल्पसंख्यक समुदाय लगातार हिंसा और भेदभाव का सामना कर रहे हैं। 2022 की सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, देश में 91% जनसंख्या मुस्लिम है, जबकि हिंदू 8.95% के साथ सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समूह हैं। स्वदेशी समूह, जैसे संथाल, लगभग 0.12% आबादी का हिस्सा हैं।

मानवाधिकार संगठनों ने बार-बार यह रेखांकित किया है कि बांग्लादेश के कानूनी ढांचे के बावजूद, धार्मिक हिंसा के मामलों में न्याय नहीं मिल पाता। हिंसा के शिकार समुदायों को अक्सर राजनीतिक या कानूनी सहारा नहीं मिलता।

आठ सूत्री मांग और उनकी आवश्यकता

1. विशेष न्यायाधिकरण की स्थापना:
अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और भेदभाव के मामलों में त्वरित न्याय के लिए विशेष अदालत की मांग की गई है।

2. अल्पसंख्यक संरक्षण कानून का अधिनियमन:
हालांकि संविधान धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है, परंतु अल्पसंख्यकों के अधिकार सुनिश्चित करने के लिए अलग कानून की जरूरत महसूस की जा रही है।

3. अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय का गठन:
एक समर्पित मंत्रालय का गठन, जिससे अल्पसंख्यकों की समस्याओं का समाधान हो सके, जैसे कि हिंदू फाउंडेशन की मांग, जिसमें समुदाय द्वारा नियंत्रित संस्था की स्थापना शामिल है।

4. मंदिरों की संपत्ति की सुरक्षा:
निहित संपत्ति अधिनियम और शत्रु संपत्ति अधिनियम के जरिए अल्पसंख्यकों की संपत्ति के दुरुपयोग को रोकने के लिए कानूनों में सुधार की मांग है।

5. धार्मिक समायोजन:
स्कूलों और कॉलेजों में सभी धार्मिक समूहों की प्रथाओं को समायोजित करने के लिए बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है।

6. संस्कृत और पाली शिक्षा का पुनरुद्धार:
शैक्षिक संसाधनों में वृद्धि के लिए संस्कृत और पाली शिक्षा बोर्ड को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता बताई गई है।

7. दुर्गा पूजा के लिए पांच दिवसीय अवकाश:
हिंदू समुदाय के सबसे बड़े पर्व को अधिक समय देकर सम्मानित करने की मांग की गई है।

बढ़ती हिंसा और भविष्य की आशंका

बांग्लादेश में हिंदू मंदिरों और धार्मिक स्थलों पर हमले बढ़ते जा रहे हैं। अगस्त 2024 में हसीना सरकार के पतन और देश में बढ़ते राजनीतिक अस्थिरता ने अल्पसंख्यकों की स्थिति को और भी कमजोर बना दिया है।

निष्कर्ष

सम्मिलित सनातन जागरण जोत के नेता चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक अधिकारों के मुद्दे को वैश्विक ध्यान में ला दिया है। भारत और अन्य देशों ने चिंता जताई है, लेकिन यह देखना बाकी है कि क्या बांग्लादेश सरकार इन मांगों को संबोधित करती है और अल्पसंख्यकों को न्याय और सुरक्षा प्रदान करती है।

Exit mobile version