Navratri 2024 Day 5: मां स्कंदमाता की कथा
नवरात्रि एक ऐसा पर्व है जो नौ दिनों तक मनाया जाता है, जिसमें लोग मां दुर्गा की आराधना करते हैं। यह वर्ष में दो बार आता है: एक बार चैत्र माह में, जिसे चैत्र नवरात्रि कहा जाता है, और दूसरी बार शरद ऋतु में, जिसे शारदीय नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। “नव” का अर्थ है नौ, और “रात्रि” का अर्थ है रात, इसलिए नवरात्रि का यह त्योहार नौ रातों की अवधि में मनाया जाता है
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, तारकासुर नामक एक राक्षस था जिसने भगवान शिव की कठोर तपस्या कर अत्यधिक शक्तियां प्राप्त की थीं। उसे यह वरदान मिला था कि उसका वध केवल शिव के पुत्र द्वारा ही हो सकता है। इस वरदान के बाद तारकासुर के अत्याचार अत्यधिक बढ़ गए। तब शिव और पार्वती ने अपनी शक्तियों से कार्तिकेय नामक पुत्र को जन्म दिया
ऐसी मान्यता है कि कार्तिकेय ने बचपन से ही युद्ध कौशल सीखना शुरू कर दिया था, और उनकी माता पार्वती ने स्कंदमाता का रूप धारण कर उन्हें युद्ध कला में प्रशिक्षित किया। स्कंदमाता ने ही कार्तिकेय को दिव्य अस्त्र-शस्त्रों से सुसज्जित किया, जिसमें उनका भाला भी शामिल था।
कथा के अनुसार, जब तारकासुर की शक्तियां कार्तिकेय पर हावी होने लगीं, तो उन्होंने अपनी मां द्वारा दिए गए शक्तिशाली भाले से तारकासुर का वध किया। तभी से यह मान्यता प्रचलित है कि मां स्कंदमाता की पूजा करने से संतान की कामना करने वाले भक्तों को सुख और संतोष की प्राप्ति होती है।
Navratri 2024 Day 5 देवी स्कंदमाता की पूजा होती है, जिनका समर्पित रंग सफेद है। यह रंग शांति, पवित्रता और सौम्यता का प्रतीक माना जाता है। सफेद रंग न केवल मन को शांति प्रदान करता है, बल्कि दिव्य आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए भी इसे शुभ माना जाता है।
मां स्कंदमाता की पूजा विधि इस प्रकार है:
दिन की शुरुआत स्नान करके करें और सफेद कपड़े पहनें, क्योंकि यह रंग मां स्कंदमाता को प्रिय है। मां स्कंदमाता की मूर्ति या चित्र को एक साफ स्थान पर स्थापित करें और उस जगह को गंगा जल से पवित्र करें। पूजा स्थल पर एक कलश रखें, जिसमें पानी भरें और कुछ सिक्के डालें।
कुमकुम और रोली से मां का आह्वान करें और केले जैसे फलों का भोग चढ़ाएं। धूप और दीप जलाकर मां को पुष्प अर्पित करें। मां स्कंदमाता का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उनके मंत्रों का जाप करें। विशेष रूप से, केले का भोग लगाना शुभ माना जाता है, जो पोषण और पवित्रता का प्रतीक है। पूजा की समाप्ति मां स्कंदमाता की आरती गाकर करें और फिर प्रसाद का वितरण करें।
Navratri 2024 Day 5 अक्टूबर 7 को मनाया जाएगा। इस दिन मां कूष्मांडा की पूजा की जाएगी और उपांग ललिता व्रत भी इस दिन रखा जाएगा। चतुर्थी तिथि 9:47 बजे तक रहेगी, जिसके बाद पंचमी तिथि शुरू होगी। पंचमी तिथि 8 अक्टूबर 2024 को सुबह 11:17 बजे तक रहेगी। इस दिन अभिजीत मुहूर्त 11:52 बजे से दोपहर 12:34 बजे तक है। विजय मुहूर्त 2:20 बजे से 3:23 बजे तक रहेगा, जबकि गोधूलि मुहूर्त शाम 6:20 बजे से 7:23 बजे तक रहेगा।
Navratri 2024 Day 5: मां स्कंदमाता मंत्र
यहां कुछ खास मंत्र दिए गए हैं जिनका आप जाप कर सकते हैं:
या देवी सर्वभूतेषु स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी महाबले महोत्साहे महाभय विनाशिनी त्राहिमाम् स्कंदमाते शत्रुनाम भयवर्धिनि ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:।
सिंहासना गता नित्यं पद्माश्री तकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।।
Navratri is a festival celebrated for nine days in which people worship Goddess Durga. It comes twice a year: once in the month of Chaitra, which is called Chaitra Navratri, and the second time in autumn, which is known as Sharadiya Navratri. “Nava” means nine, and “ratri” means night, so this festival of Navratri is celebrated over a period of nine nights
Navratri 2024 Day 5: The Story of Maa Skandamata
According to Hindu mythology, there was a demon named Tarakasura who gained immense powers by doing a rigorous penance of Lord Shiva. He was blessed with a boon that he could only be killed by Shiva’s son. After this boon, Tarakasura’s atrocities increased immensely. Then Shiva and Parvati gave birth to a son named Kartikeya with their powers
It is believed that Kartikeya started learning war skills from childhood, and his mother Parvati took the form of Skandamata and trained him in the art of war. It was Skandamata who equipped Kartikeya with divine weapons, including his spear.
According to the legend, when Tarakasura’s powers began to overpower Kartikeya, he killed Tarakasura with the powerful spear given by his mother. Since then, the belief is prevalent that by worshiping Maa Skandamata, devotees wishing for children get happiness and satisfaction.
Navratri 2024 Day 5 Goddess Skandamata is worshipped, whose dedicated color is white. This color is considered a symbol of peace, purity and gentleness. White color not only provides peace to the mind, but it is also considered auspicious for the attainment of divine blessings.
The method of worshiping Maa Skandamata is as follows:
Start the day by taking a bath and wear white clothes, as this color is dear to Maa Skandamata. Install the idol or picture of Maa Skandamata in a clean place and sanctify the place with Ganga water. Place a Kalash at the place of worship, fill it with water and add some coins.
Invoke the Goddess with Kumkum and Roli and offer fruits like bananas. Light incense and lamps and offer flowers to the Goddess. Chant the mantras of Maa Skandamata to receive her blessings. In particular, offering bananas is considered auspicious, which symbolize nourishment and purity. Conclude the puja by singing the aarti of Maa Skandamata and then distribute the prasad.
Navratri 2024 Day will be celebrated on 5 October 7. On this day, Maa Kushmanda will be worshiped and Upang Lalita Vrat will also be observed on this day. Chaturthi Tithi will last till 9:47 am, after which Panchami Tithi will begin. Panchami Tithi will last till 11:17 am on 8 October 2024. Abhijeet Muhurta on this day is from 11:52 am to 12:34 pm. Vijay Muhurta will be from 2:20 pm to 3:23 pm, while Godhuli Muhurta will be from 6:20 pm to 7:23 pm.
Navratri 2024 Day 5: Maa Skandamata Mantra Here are some special mantras that you can chant: Ya Devi Sarvabhuteshu Skandamata Rupen Sansthita.
Namastesyaye Namastesyaye Namastesyaye Namo Namah.
Simhasanagata Nityam Padmashritakardvaya Shubhadaastu Sada Devi Skandamata Yashaswini Mahabale Mahotsahe Mahabhaya Vinashini Trahimam Skandamatea Shatrunam Bhayavardhini Hreem Kleem Swaminya Namah.
Simhasana Gata Nityam Padmashree Takradvaya. Good wishes always, Goddess Skandmata Yashaswini.