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Sambhal मस्जिद विवाद: पुलिस को मिली विभिन्न बोर की गोलियों के खोखे, प्रशासन ने बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश पर लगाया प्रतिबंध।

Sambhal

Sambhal में भीड़ ने पुलिस और सर्वे टीम पर पथराव किया और वाहनों में आग लगा दी। स्थिति पर काबू पाने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज और आंसू गैस का इस्तेमाल किया।

Sambhal हिंसा: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में रविवार को हुई हिंसा में तीन लोगों की मौत हो गई और 24 पुलिसकर्मियों व प्रशासनिक अधिकारियों समेत कई अन्य घायल हो गए। यह झड़पें मुगलकालीन मस्जिद के कोर्ट-निर्देशित सर्वे के दौरान हुईं। भीड़ ने पुलिस और सर्वे टीम पर पथराव किया और वाहनों को आग के हवाले कर दिया। स्थिति पर काबू पाने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज और आंसू गैस का सहारा लिया।

Sambhal प्रशासन ने कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए 25 नवंबर को सभी स्कूल बंद कर दिए हैं और अफवाहों को रोकने के लिए इंटरनेट सेवा निलंबित कर दी है। इसके अलावा, बिना अनुमति के किसी भी बाहरी व्यक्ति, सामाजिक संगठन या जनप्रतिनिधि के शहर में प्रवेश पर रोक लगा दी गई है।

संभल हिंसा: बवाल में चली गोलियां, पुलिस और प्रशासन के कई अधिकारी घायल

मुरादाबाद मंडलायुक्त अंजनेय कुमार सिंह ने मीडिया को बताया कि संभल हिंसा के दौरान उपद्रवियों ने फायरिंग की, जिसमें एक अधिकारी को गोली लगी। हिंसा में 20 से अधिक सुरक्षाकर्मी घायल हुए। उन्होंने कहा, “उपद्रवियों ने गोलियां चलाईं। पुलिस अधीक्षक (एसपी) के पीआरओ के पैर में गोली लगी, पुलिस सर्किल अधिकारी छर्रों से घायल हुए और 15-20 सुरक्षाकर्मियों को चोटें आईं।”

अंजनेय कुमार सिंह के अनुसार, एक पुलिस कांस्टेबल को गंभीर सिर की चोट लगी है और डिप्टी कलेक्टर का पैर फ्रैक्चर हो गया। संभल प्रशासन ने कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए तहसील क्षेत्र में 24 घंटे के लिए इंटरनेट सेवा बंद कर दी और 25 नवंबर को सभी स्कूलों को बंद रखने का आदेश दिया।

मंडलायुक्त ने बताया कि हिंसा उस समय शुरू हुई जब सर्वे टीम अपना कार्य पूरा कर वापस लौट रही थी। उन्होंने कहा, “तीन दिशाओं से भीड़ ने हमला किया – सामने, दाईं ओर और बाईं ओर से। लगातार पथराव हो रहा था। पुलिस ने सर्वे टीम को सुरक्षित निकालने के लिए बल प्रयोग किया, आंसू गैस के गोले छोड़े और प्लास्टिक की गोलियां चलाईं।”

सोशल मीडिया पर साझा किए गए वीडियो में भीड़ को शाही जामा मस्जिद के आसपास की इमारतों से और सड़क पर पत्थरबाजी करते देखा गया। एक क्लिप में पुलिस अधीक्षक कृष्ण कुमार को पत्थरबाजों से हिंसा न करने की अपील करते हुए सुना गया। उन्होंने कहा, “इन राजनेताओं के लिए अपना भविष्य खराब न करें।”

एसपी कृष्ण कुमार ने उन खबरों का खंडन किया जिनमें कहा गया था कि पुलिस ने भीड़ पर गोली चलाई। उन्होंने कहा, “पुलिस ने सिर्फ नॉन-लेथल (जानलेवा न होने वाली) पेललेट गन का इस्तेमाल किया। ऐसी कोई गोली नहीं चलाई गई जिससे किसी की जान जा सकती हो।”

पुलिस ने 21 लोगों को हिरासत में लिया है और कई प्रकार के हथियार बरामद किए हैं। अधिकारियों ने बताया कि घटना स्थल से अलग-अलग बोर की गोलियों के खोखे बरामद हुए हैं। दो महिलाओं को भी हिरासत में लिया गया है जिनके घर से फायरिंग की गई थी। पुलिस ने साफ किया कि हिंसा में शामिल लोगों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत कार्रवाई की जाएगी।

हिंसा में मारे गए तीन व्यक्तियों की पहचान हो गई है। जिला अधिकारी राजेंद्र पेंसिया ने बताया कि दो लोगों की मौत देसी कट्टों से चली गोली से हुई है, जबकि तीसरे व्यक्ति की मौत का कारण पोस्टमार्टम के बाद स्पष्ट होगा।

यह विवाद उस सर्वे को लेकर हुआ जो स्थानीय अदालत के आदेश पर शाही जामा मस्जिद के परिसर में किया जा रहा था। याचिका में दावा किया गया था कि यह मस्जिद हरिहर मंदिर के अवशेषों पर बनाई गई थी। सर्वे पिछले मंगलवार को पूरा नहीं हो सका था, इसलिए इसे रविवार सुबह आयोजित किया गया ताकि नमाज के समय कोई बाधा न हो।

स्थानीय हिंदू पक्ष के वकील गोपाल शर्मा ने दावा किया कि इस स्थान पर पहले हरिहर मंदिर था, जिसे 1529 में मुगल शासक बाबर ने तोड़ दिया था।

 

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